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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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तूफान

तूफान

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खेलो ना हमसे,हमे शांत समझ कर,

जब हद पर करोगे हल्का समझ कर,

जब हम में भी उफान आएगा बेदर्द,

तब हम भी बदला लेंगे तूफ़ान बन कर।


मैं प्रकृति हूं कोई खेल का मैदान नहीं,

मेरे साथ खिलवाड़ ना कर मानव,

मेरे ही कारण तु है मेरी गोद में खेलता,

और मुझे ही जख्मों पे जख्मे है देता।


बचपने की भी कोई हद्द होती है,

मैं दे चुकी ही कई बार चेतावनी,

फिर भी न माने मुझे छेड़ने से तुम,

अंतिम तूफान फिर मेरा ही होगा।


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