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Vidya Sharma

Abstract Inspirational

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Vidya Sharma

Abstract Inspirational

युद्ध

युद्ध

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हो रहा आरंभ युद्ध जीवन और मृत्यु का,

किसको मिलेगी विजय प्रश्न यही सोच रहा।


हार किसी की तय है तय किसी की जीत है,

पर हुआ क्यों आरंभ प्रश्न यही सोच रहा।


मानव मन की तृष्णा का मानवता मोल चुकाती,

रक्त बहे किसी का भी लाल धरा हो जाती है।


बल निर्बलों पर आजमाए जाएंगे,

क्या हम पशु बन जाएंगे प्रश्न यही सोच रहा।


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