मेरा संसार
मेरा संसार
नहीं जानता मैंने कब पाया यह अद्भुत संसार,
जिसमें हर दिन घूमू मै अपने पंख पसार।
नीली धरती नीला सागर हरा भरा परिवार,
भाति भाति के रंग-बिरंगे जीव मेरा परिवार।
पर डरता हूं छीन ना ले कोई मानव,
मैं हो जाऊं फिर बेघर और लाचार।
धरती पर देखा है मैंने जैसे मुझको तड़पाते हैं,
जान मेरी लेकर वह खुद अपनी भूख मिटाते हैं।
मुझको भी विधाता ने बनाया पर संग भेदभाव लगाया
मनुष्य जैसा बुद्धिमान नहीं एक छोटा जीव बनाया।
पर मैंने तो कभी इंसान को नहीं सताया।
भगवान मेरी विनती सुनो करो मेरा इंसाफ,
पर्यावरण को रख स्वच्छ ना हमें लगाए हाथ।