संबंधों की हत्या
संबंधों की हत्या
संबंधों की हत्या होती है जब यार
उर में पीड़ा होती अति अपार।
निज स्वार्थ अपनों को
जब छलता कोई यार
तिल-तिल कर मरता है
छला हुआ इंसान।
क्या खोया क्या पाया तुमने
कभी करना इसपर विचार
संबंधों की हत्या
क्यों कर दी मेरे यार।