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Sunil Kumar

Abstract

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Sunil Kumar

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संबंधों की हत्या

संबंधों की हत्या

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संबंधों की हत्या होती है जब यार 

उर में पीड़ा होती अति अपार।


निज स्वार्थ अपनों को 

जब छलता कोई यार

तिल-तिल कर मरता है 

छला हुआ इंसान।


क्या खोया क्या पाया तुमने 

कभी करना इसपर विचार 

संबंधों की हत्या 

क्यों कर दी मेरे यार।


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