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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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यात्रा गंगा की

यात्रा गंगा की

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पुराने से नए समय में करें यात्रा गंगा की,
जीवन की राहों से उद्घोषित दुनिया सपनो की ,
उठते रविवार के सूर्य से छा जाता निर्मल जल,
गंगा के साथ बढ़ता प्यार और विश्वास का पल |

प्राचीन नगरी से निकलती ये धारा निराली,
माँ गंगा के नाम से बहता सबका मन ख़याली।
काशी, पटना, प्रयागराज है सबका आदर्श ,
जहाँ हिन्दू-मुस्लिम का मिलन होता प्रतिवर्ष |

नाव चलाते पंडित और मुल्ला भी संग में होते,
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transparent;">गंगा जल से धोने वाले धर्म के ठेकेदार सोते ,

सबको मिलती थी सिफारिश बिना धन-दौलत के , 
इस यात्रा में जुड़ते लोग भारत के हर कोने के |

बदलते समय के साथ नया रंग लेती ये यात्रा,
इंजन की गति पर भी नहीं बदली अपनी मात्रा ,
ट्रेनें, प्लेनें, आटोरिक्शा जैसे नये वाहन आये,
मगर गंगा की तूफ़ानी धार को दूर हटा ना पाये |

पवित्र जल में स्नान कर जनता नये श्वास भरती है,
दुखी, सुखी, सभी की सुनती ये नदी जल बहाती है ,
ऐसी प्यारी गंगा नदी का चित्र सबके मन भाता है ,
सपनों में ही इस यात्रा से दिल प्रसन्न हो जाता है ||





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