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Pallavi Garg

Romance Classics

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Pallavi Garg

Romance Classics

खत

खत

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बरस रहा था, जब सावन मेरे घर आँगन

तब उस सावन की बूंदों के

हर धरा बिंम्ब में प्रियवर

बस तुम्ही तुम नजर आए।


बोली जब कोयलिया उस

अमूवा की डाली पर

उस कोयल के हर प्रेंंम,

विरह के गीतों में प्रियवर 

बस तुम्ही तुम नजर आए।


झर झर झरते सावन में जब

मद मस्त हुई थी,उस बगिया की वो हरियाली

तब उस बगिया के अद्भुत रूप बीच प्रियवर 

बस तुम्ही तुम नजर आए।


जब सप्तरंग बना उस अम्बर तल पर

तुम्हारी अँखियों की छाप लिये

उस सप्तरंग के हर कण कण में प्रियवर

बस तुम्ही तुम नजर आए।


देख राधा कृष्ण के विरह में

उनके हर रास में भी प्रियवर

बस तुम्हीं तुम नजर आए।


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