रिश्वत
रिश्वत
देख तुम्हारी रची इस दुनिया में
पैसे की सत्ता
मुझे रिश्वत की बू आती हैं
चुपके से बता दो कान में मेरे ईश्वर
क्या तुमने भी रिश्वत खाई है।
पैसा तुम्हारे रचे इस नभ, थल, जल पर
अपना आधिपत्य जमा रहा
प्रदूषित करके हर कण को
अपनी छवि बढ़ा रहा।
वर्ना तुमने तो गरीबो की रोटी भी
सेल्फी मे दिखाई है
बताओ न ईश्वर कान में मेरे
क्या तुमने भी रिश्वत खाई है।
जब घुट रहा है,अब तुम्हारा मन भी
पैसे की बनाई हुई, इन प्रदूषित सांसो से
रिश्वत का मान भी न रखकर तुमने
वायरस (कोरोना) की योजना बनाई है।
पैसे वालो के साथ में अब गरीबों की भी
सामत आई है।
सच बताओ ईश्वर तुमने भी रिश्वत खाई है
क्योंकि पैसे की ही सत्ता तुम्हारी इस दुनिया
पर छाई है।
