इंसानियत
इंसानियत
हिन्दू हो या मुस्लमान हो तुम ?
गीता हो या क़ुरान हो तुम ?
मंदिर में बजता भजन कोई ?
या आवाज़-ए-अज़ान हो तुम ?
गीता का एक श्लोक कहूँ ?
या फिर सूर-ए-रहमान हो तुम ?
तुम्हें मुद्दा-ए-कश्मीर कहूँ ?
या क़ुव्वत-ए-हिंदुस्तान हो तुम ?
तुम दीवाली का दिया कोई ?
या इफ्तार-ए-रमज़ान हो तुम ?
किसी चिता से उठता धुआँ कहूँ ?
या ख़ाक़-ए-क़ब्रिस्तान हो तुम ?
तुम तिलक किसी पंडित का हो ?
क़ाज़ी की जबीं का निशान हो तुम ?
तलवार हज़रत अली की हो ?
या राम का टूटा बाण हो तुम ?
तुम लाल किला मुग़लों का हो ?
या पृथ्वीराज चौहान हो तुम ?
तुम बांसुरी कृष्ण कन्हैया की ?
या शुतुर-ए-उमर सुलतान हो तुम ?
तुम खुल्द के हज-रे-अस्वद हो ?
हरिद्वार पवित्र स्थान हो तुम ?
हो ब्राह्मण, क्षत्रिय, राजपूत ?
सय्यद, मिर्ज़ा, अफगान हो तुम ?
ये सारे मसले बाद में हैं
सबसे पहले इंसान हो तुम।
सबसे पहले इंसान हो तुम।।।