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Ashim Srivastava

Others

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Ashim Srivastava

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"प्रवासी मज़दूर हूँ "

"प्रवासी मज़दूर हूँ "

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दूर घर के कौन

जाना चाहता है साहब !

ये रोटी की पहिया है

बस दूर लिए जाती है !

परिवार का पालन पोषण जो

भली भॉंति करता है !

वो आँसू आँखों में लिए

सर झुका के कहता है

"काम न होने से मजबूर हूँ" 

हाँ हाँ मैं ही मैं ही

प्रवासी मज़दूर हूँ !

हाँ हाँ मैं ही

प्रवासी मज़दूर हूँ !


हौसला ऐसा जो

मीलों पैदल चल सके 

पहाड़ काट कर

उसे राह में बदल सके 

जीवन कैसा भी हो

जीने को तैयार बैठे है

मदद का हाथ बढ़े न बढ़े

ये खुद्दार बैठे है

अपनी जरूरतों को कम रख

हमें जीना सीखाते है

नमन है इनको जो

इस हाल में मुस्कराते है !

नमन है इनको जो

इस हाल में भी मुस्कराते है 



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