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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Fantasy

जरा गैस पर दूध देखकर आना

जरा गैस पर दूध देखकर आना

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एक दिन सुबह सुबह हम 

लॉन में अखबार पढ़ रहे थे ।

चाय के साथ साथ कुछ

ख़बरें भी उदरस्थ कर रहे थे ।।


कि इतने में श्रीमती जी आई

बोलीं कि एक काम कर दीजिए।

मैं गैस पर दूध चढ़ा आई हूं

कृपया उसे जाकर देख आइये ।।


हम एक आज्ञाकारी बालक की तरह

उठकर किचन की ओर चल दिए ।

गैस के चूल्हे पर दूध चढ़ा हुआ है

यह देखकर वापस लॉन में चल दिए ।।


विजयी मुद्रा में हमने कहा कि 

आपका हुकुम बजा लाये हैं ।

गैस के चूल्हे पर दूध चढ़ा हुआ है

रसोई में जाकर हम देख आये हैं ।।


हमारा जवाब सुनकर श्रीमती 

जी ने हमको आड़े हाथ लिया ।

वे जल्दी जल्दी रसोई में भागीं

और हमको अपने साथ लिया ।।


चूल्हा अपने फुल वाल्यूम पर था

और दूध उबल कर गिर रहा था ।

जिसे देख देखकर श्रीमती जी का

हृदय आग की तरह जल रहा था ।।


गुस्से से पैर पटकते हुए वे बोलीं

आपसे एक काम सही नहीं होता

दूध देखने के लिए कहा था और

इतना सा काम आपसे नहीं होता।।


हमने कहा कि हे देवी आपने 

सिर्फ दूध देखने को कहा था ।

दूध उबलने पर गैस बंद करनी है

ये तो आदेश का हिस्सा नहीं था ।।


जितना आपने कहा था हमने 

उतना काम बखूबी कर दिया है।

आदेशों की पालना कैसे की जाती है

इसका प्रशिक्षण अच्छे से लिया है ।।


बोली गलती मेरी थी जो सरकारी

अधिकारी को काम बता दिया ।

सरकारी काम कैसे किया जाता है

ये आपने भली भांति समझा दिया ।।



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