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Laxmi Tyagi

Comedy

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Laxmi Tyagi

Comedy

मेरी रामप्यारी

मेरी रामप्यारी

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प्यार की राहों'' पर चल दिए हम ,सोचा - हम भी प्यार करके देख लें । 

'प्यार 'किस चिड़िया का नाम है ?' प्यार की राह 'में, चल कर देख लें। 

'प्यार की राह' में मिल गई' राम प्यारी' थी, अपने पापा की दुलारी थी। 

 इन आंखों पर चढ़ गया ,उसके प्यार का नशा,

 बंध गई पट्टी ,उसके प्यार की,वो मुझे चाहने वाली थी।  


जब चाहे जहां देखूं ,दिखे'' रामदुलारी'' हाय ! मेरी राम प्यारी !

मोहब्बत का नशा, सिर चढ़कर बोलने लगा है, 

 हाय ! मेरी रामप्यारी -रामप्यारी रटने लगा है । 

रात -दिन बस उसका ही ,सपना सजने लगा ,

उसके संग ही मुझे ,अपना जीवन दिखने लगा। 

बुजुर्गों ने बहुतेरा समझाया, कुछ समझ न आया,

 हर कोई इस जहाँ में ,प्यार का दुश्मन दिखने लगा। 


समझता था -प्यार की राहों में कठिनाईयां बहुत हैं ,

अपनी बुद्धि से , राहों के कांटे चुगने लगा। 

 उन राहों से मेरी, रामप्यारी मेरे घर आएगी। 

 इस घर को मेरे, और अपने सपनों से सजायेगी। 

 यही सपना दिखने लगा, प्यार की मेरे जीत हुई,

 मिल गये ,'' मन के मीत''अपनी रातें रंगीन हुईं । 


रामप्यारी क्या खूब नजर आती है ?

मैं उसके दिल का राजा और वह रानी नजर आती है। 

प्यार की राहें कितनी हसीन ?खुशगवार नजर आती हैं। 

कुछ वर्षों में ही ,प्यार की बंधी पट्टी खुलने लगी ,

अब मुझे रामप्यारी से भी अलग दुनिया दिखने लगी। 

 जिस डगर पर मैं चल रहा था ,

 वह कांटो भरा रास्ता भी , हसीन लग रहा था। 

प्यार भरी मेरी दुनिया ,मुझे हकीकत में ले आई ,

मेरी रामदुलारी ने मुझे जिंदगी की असलियत दिखलाई।

 हर पत्नी ने, अपने पति को उसकी औकात दिखलाई। 

तभी कुमारश्याम बने कालिदास ,रामबोला बने गुसाईं। 

 रिश्ता है , तो आज भी, इस रिश्ते को निभा रहा हूं ,

चला था 'प्यार की राहों' में आज भी उससे कांटे हटा रहा हूं। 

लहुलूहान हो ,''प्यार की रस्में '' निभा रहा हूं। 


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