आओ बहन चुगली करें.....
आओ बहन चुगली करें.....
आओ बहन चुगली करें, खुशियों को थोड़ा उंगली करें।
संसार चौके-बच्चों से बाहर भी है,
कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें, जीवन को थोड़ा बबली करें।
आओ बहन चुगली करें…..
वो जो हमें बस नारी सोच कर, उनकी आभारी समझते हैं,
अपने हसरतों को समेटने वाली, एक अलमारी समझते है,
सोचते हैं कि हम सोच नही सकते,
चलो आज कुछ सोच कर, उनकी समझ तो लंगड़ी करें।
आओ बहन चुगली करें…..
सास को, सास से परेशानी थी, पर बहु पर फिर भी ठानी है,
बहु के सास बनते ही, जाने ये तबियत की क्या परेशानी है,
अपने कल को भूल बैठी हैं वो,
आओ उनके आज में, पैदा फिर कल की यादगारी करें।
आओ बहन चुगली करें…..
वो जो मगरूर हैं पति, हमको जो मजबूर समझते हैं,
उनको ये एहसास, नही, वो हम में ही रात सिमटते है,
हमारे होने को जो बस होना समझते हैं,
आओ उनके होने को, हम मिल कर सब जंगली कहें।
आओ बहन चुगली करें…..
