"आज का मेनू."
"आज का मेनू."
घर में बैठे यूंही मारते मारते गप्पे,
मैंने बोला श्रीमती को, मुझे खिला दे गोल गप्पे।
बोली श्रीमती आज थक गई में,कुछ है मेरी मजबूरी,
आज तुम ही बना के खिला दो मुझे भेलपुरी।
मैने बोला मेरा भी नहीं कुछ बनाने का विचार,
तुम खा लो आज भाखरी और अचार।
घर में मच गया हल्ला गुल्ला,
आखिर दोनो ने मिल के बनाया रसगुल्ला।
आखिर श्रीमती बन गई नेक,
साथ में उसने बनाई केक।
दोनो ने एक दूजे की,की सहायता,
फिर मजा आ गया हमको खाने में रायता।
फिर देखा उसने मूवी जलवा,
और होटल जा के खाया उसने हलवा।
मेरा दिल नाचने लगा देख के गोल गोल लड्डू,
में हो गया श्रीमती की पसंद पर लट्टू।
फिर उसने जिद की, देखने की ज्वेलरी की स्कीम,
पर मैने बचाए मेरे पैसे,खिला के उस को आइस्क्रीम।
