Sarvesh Saxena

Tragedy

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Sarvesh Saxena

Tragedy

खलिश

खलिश

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तेरे शहर में न जाने कैसी खलिश थी इस बार,

ना उसने मुझे रुकने दिया,

ना उसने मुझे जाने दिया,

रो नहीं पाया इस बार मैं जी भर के उसके हाल पर,

जब चला तो इस बार आसमां ही रो दिया,

सिसक पड़ा मैं आसमां के इस हाल पर,

अरसे बाद उसने मुझे अपना कहके भुला दिया....


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