Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sarvesh Saxena

Drama Tragedy Others

4  

Sarvesh Saxena

Drama Tragedy Others

बंद खिड़की

बंद खिड़की

2 mins
275


देखता हूं जब मैं इस बंद खिड़की की ओर, 

दूर तक कुछ भी दिखाई न देता है, 

बैठकर चुपचाप जब देखता हूं इसकी ओर, 

तो हल्का सा कुछ मुझको सुनाई तो देता है, 

वो हल्का सा कुछ जाना पहचाना सा है,  

वो हल्का सा शायद रिक्शे की घंटी है, 

गली में जो दूर से मुझे आता दिखा है, 

उस पर वो अपने घर के बड़े हैं और, 

अपना कोई मुस्कुराता दिखा है, 

दौड़कर दरवाजा घर का खोलने मैं जो गया, 

तो देखा वो दरवाजा नहीं, 

वो तो सिर्फ हवा है, 

वो दरवाजा नहीं वह तो सिर्फ हवा है, 

चौंक कर देखता हूं जब पास अपने, 

तो पूछती हैं दीवारें... 

क्या फिर से कोई नया ख्वाब सजा है? 


देखता हूं जब मैं इस बंद खिड़की की ओर, 

दूर तक कुछ भी दिखाई ना देता है, 

बैठकर चुपचाप जब देखता हूं इसको, 

तो हल्का सा मुझको कुछ दिखाई तो देता है, 

वो हल्का सा कुछ जाना पहचाना सा है, 

वो हल्का सा शायद किसी की पुकार है, 

जिसमें कुछ गुस्सा और ढेर सारा प्यार है, 

एक बच्चा भागता नजर आता है, 

मां के आंचल से झांकता नजर आता है, 

दौड़कर कुछ आस लेकर पास में उनके गया, 

तो देखा वो बचपन नहीं वो तो सिर्फ हवा है. 

वो बचपन नहीं तो सिर्फ हवा है, 

चौंक कर देखता हूं जब पास अपने, 

तो पूछती हैं दीवारें, 

क्या फिर से कोई नया ख्वाब सजा है? 


देखता हूं जब मैं इस बंद खिड़की की ओर, 

दूर तक कुछ भी दिखाई ना देता है, 

बैठकर चुपचाप जब देखता हूं इसको, 

वो हल्का सा मुझको कुछ सुनाई तो देता है, 

वो हल्का सा कुछ जाना पहचाना सा है, 

वो हल्का सा शायद एक सुंदर सा गीत है, 

किसी को पुकारता किसी का मीत है, 

बांहों में बाहें डाले वहां कोई बैठा है, 

मन करता है देख लूँ वो प्रेम कैसा है, 

दौड़कर कुछ गुनगुनाता एक फूल लेकर मैं गया, 

तो देखा वो प्रेम नहीं वो तो सिर्फ हवा है, 

वो प्रेम नहीं वो तो सिर्फ हवा है, 

चौंक कर देखता हूं जब पास अपने, 

तो पूछती हैं दीवारें.. 

क्या फिर से कोई नया ख्वाब सजा है? 


देखता हूं जब मैं इस बंद खिड़की की ओर, 

दूर तक मुझको कुछ दिखाई न देता है, 

थककर चुपचाप देखता हूं इसको तो, 

वो हल्का सा कुछ भी न दिखाई देता है, 

वो हल्का सा कुछ न सुनाई देता है, 

सोचता हूं ये बंद खिड़की तोड़ दूं मैं, 

पर दौड़कर जब इसको तोड़ने जाता हूं तो, 

इससे पहले खुद से टकरा कर लौट आता हूं, 

मुझे उदास देख कहतीं हैं दीवारें, 

इसे मत तोड़ो यही तो तुम्हारे जीने की वजह है, 

इसे मत तोड़ो यही तो तुम्हारे जीने की वजह है, और वो हल्का सा कुछ भी नहीं, 

और वो हल्का सा कुछ भी नहीं, 

वो तो सिर्फ हवा है....

वह तो सिर्फ हवा है....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama