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kacha jagdish

Comedy

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kacha jagdish

Comedy

किताब

किताब

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ऐ मेरी प्यारी किताब 

ऐ मेरी प्यारी हिंदी की किताब 

कैसे कहूँ ? 

और 

क्या कहूँ ? 

ये सोचूँ और 

सोच के शर्म से मुंह छुपाऊ मैं तुझमें 


हिंदी से जंग छीडी है मेरी 

बोलने तक तो ठीक 

लिखने जाऊ में कुछ 

शब्द मुझे सताते 

कहाँ लगायेगा बिंदी,


कहाँ लगायेगा अर्धचंद्रमा

ये कहे के सिर मेरा खाते 

बच भी जाऊँ मैं, 

जैसे तैसे

वाक्य व्याकरण की झंझीर में

मुझे जकड़ते

किसी तरह खुद को छुडाऊँ


कहा लगे पूर्णविराम

कहा लगे विराम

ये बातें मुझे डराती

लिखने बैठा जो मैं

सोचा लिखूँ

मैं पन्ने कई

दो लाइन ज्यादा लिख न पाया कभी

इसलिए

ऐ मेरी प्यारी किताब

शर्म के मारे मुंह छुपाऊ तुझमें।


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