मां तो मां होती है
मां तो मां होती है
मातृत्व मां का प्यार ईश्वर का आशीर्वाद
खुशनसीब है वह
जिसने पाया मातृत्व का वरदान।
मातृत्व मां का प्यार जिसमें
नहीं होती स्वार्थ की कोई जगह।
मां तो मां होती है भले वह किसी भी इंसान या जानवर पक्षी की हो
सब में मातृत्व तो कूट-कूट कर भरा होता है ।
यही एक ऐसा रिश्ता होता है जो निस्वार्थ प्रेम से भरा होता है।
संतान प्रेम के आगे मां सब कुछ भूल जाती है।
उसे जरा सी भी आंच जाती है तो मां के कलेजे पर आती है।
संतान के लिए मां रणचंडी भी बन सकती है।
इसीलिए सब कहते हैं कि मां में भगवान बसते हैं।
अपवाद तो सब जगह होते हैं।
मगर मां तो मां होती है भले पुराने जमाने की हो या इस जमाने की।
मातृत्व की किसी में भी कमी नहीं होती है।
क्योंकि हर स्त्री में मातृत्व कूट-कूट कर भरा होता है।
काम करके आती थकी हारी मां भी घर जाकर सबसे पहले बच्चे को खाने का ही पूछती है।
जो वह भूखा है तो वह अपनी थकान भूल जाती है।
और उसके लिए खाना बनाने लग जाती है।
क्योंकि वह मां है इसीलिए उसको भूखा नहीं देख सकती है।
काम करने वाली मां अपना ज्यादा टाइम नहीं दे सकती
पर क्वालिटी टाइम तो बच्चे को दे ही देती हैं।
और प्यार और चिंता तो बच्चे को उतना ही करती है
जितनी घर में रहने वाली मां करती है।
इसीलिए मातृत्व में कोई भी कम नहीं है।
किसी के भी मातृत्व को कम तोलना बराबर नहीं है।
दुख तब होता है जब मां के मातृत्व का बच्चे बड़े होकर अपमान कर जाते हैं
और बूढ़े मां-बाप को वे दुख दे अनदेखा कर जाते हैं।
इसीलिए कहती है विमला उन बच्चों से
जिंदगी में जो बच्चे मां-बाप के ना हुए भी किसी के भी ना हुए
इसीलिए मां-बाप की तुम करो इज्जत और जिंदगी में भी तुम पाओगे इज्जत।
क्योंकि जो आज उनका है कल वह तुम्हारा हो सकता है।
इसीलिए इस सच को ना तुम झुठलाओ।
और जिंदगी में हमेशा सुकून पा जाओ।