मुस्कुराने की वजह
मुस्कुराने की वजह
मुस्कुराने की भी कोई वजह होती है क्या।
हंसते मुस्कुराते रहे तो जिंदगी भी सरल हो जाती है।
कभी-कभी अचानक ही कोई खुशी के समाचार मिल जाते हैं
तो मन ही मन मुस्कुराना आ जाता है।
मुझे तो यहां तक कि बच्चे जब रास्ते में जा रहे होते और
वह हमको देख कर मुस्कुराते तो हम भी सामने मुस्कुरा देते हैं ।
सुबह-सुबह निकलते हैं तो सामने मिलने वाले जब अनजान होते हुए भी
अच्छी तरह हंस के बात करते हैं तो हमको भी मुस्कुराना ही जाता है।
मुस्कुराने के लिए वजह ढूंढनी नहीं पड़ती है।
बगीचे में सुंदर फूल फल खिला हो ,प्रकृति के सुंदर छटा दिखी हो तो भी मुस्कुराना आ जाता है।
अपने कोई चाहने वाले का फोन आया हो या वह खुद आया हो तो भी
मन को खुशी देकर वह मुस्कुराने का कारण बन जाता है।
अनायास ही आने वाली खुशी कोई भी पल मुस्कुराहट दे जाती है।
हम तो हर सुबह का मुस्कुरा कर के ही स्वागत करते हैं तो दिन भर आप मुस्कुराते रहें,
और खुशियां दामन में भरी रहे ऐसी कामना करते हैं।
मुस्कुराना किसी एक से नहीं कोई भी कारण से हो सकता है।
बस मुस्कुराते रहिए और खुश रहिए।
जबरदस्ती का मुस्कुराने और हंसने की जगह छोटे-छोटे मुस्कुराने के पल ढूंढिए कारण मिल जाएंगे ।
उससे हंसिये और मुस्कुराइए और जिंदगी को खुशहाल बनाए ।
हंसने और मुस्कुराने के पैसे नहीं लगते हैं बल्कि मन को सुकून दे जाते हैं
तो क्यों बहुत गंभीर मुख बनाकर रहना, जिससे लोग भी तुमसे दूर भागे।
चेहरे को सरल सौम्य और मुस्कुराता हुआ रखें तो हर कोई आपसे बेझिझक बात करने आएगा।
और आपकी जिंदगी के कामों को सफल बनाएगा।
आपके प्रति अच्छे ख्याल पाएगा।
इसीलिए कहती है विमला चार दिन की जिंदगी है क्यों नहीं हंसते मुस्कुराते बिताई जाए।
जिंदगी में छोटे-छोटे पल ढूंढ करके उन पर मुस्कुराया जाए और खुश हुआ जाए ।