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Dr Baman Chandra Dixit

Action

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Dr Baman Chandra Dixit

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मेवाड़ वाला राणा था

मेवाड़ वाला राणा था

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प्रबल प्रताप प्रचंड शौर्य का

प्रतिरूप जो बना था,

तलवार शूल चेतक सवारी

मेवाड़ वाला राणा था।।

खेल खेल में संगी मेल में

खड्ग भाला जिसे भाता था

संगी साथी बनते सेनानी

सेनापति ख़ुद बनता था

धमनियों की धार में जिसका

आज़ाद देश का सपना था

वो मेवाड़ वाला राणा था।।

कभी खेल में अभ्यास काल में

चोटें जो उसे लगती थी

औजारों की धार परखते कभी

उंगली कट जाया करती थी

लोहित लहू को ललाट में लिख

राज तिलक जो करना था

वो मेवाड़ वाला राणा था ।।

धैर्य शौर्य का प्रतीक राणा

हारा जब मानसिंह से था,

जंगलों में जाकर छिप गया

काल कवलित करना था

घास की रोटी खा कर जिया जो

उसे विद्रोह वह्नि सुलगाना था

वो मेवाड़ वाला राणा था।।

फिर जो उतरा हल्दीघाटी

घाटी की माटी काँप गयी

धड़ से उखड़े शीश थे लुढ़के

दुश्मन सेना हट गयी

दहाड़ दहाड़ कर खदेड़ रहा था

राण बांकुड़ा जो बना था,

वो मेवाड़ वाला राणा था ।।

धूल उड़ा गगन कर आच्छन्न

बादलों का भ्रम सृष्टि किया

घन घन में घनघन अशी चालन

बिजली सी चमक चेता गया

दहाड़ बज्र सा लगा गूँजने

प्रहार प्रचंड सा कोहराम था

वो मेवाड़ वाला राणा था।।

भाला के नोक पर दुश्मन उठा

उठा आकाश तो उठ गया

दूसरा हाथ का खड्ग प्रहार से

शीश शरीर से हट गया

कभी किधर से प्रहारे कैसे

भाला जिसका जानता था

वो मेवाड़ वाला राणा था।।

आहत सैनिक गिरे जमीं पर

हाथ में अशी उसी प्रकार

लब्ध-चेत खड़ा होता था वो

सुन राणा की वीर हुँकार

मुर्दों में भी जान जगाना

दहाड़ जिसका जानता था

वो मेवाड़ वाला राणा था ।।

ऐसे वीर महान माटीपुत्र

चेतक-प्रतापी प्रताप को

पराभूत पराजय शीश नमा

महा प्रतापी वीर सपूत को

चतुर चातक अजेय सेनानी की

दुर्जेय राजा महाराणा था,

वो मेवाड़ वाला राणा था।।



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