वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम ....वन्दे मातरम
वन्दे मातरम... वन्दे मातरम।
स्वाधीन हैं हम स्वतंत्र हैं हम
यही नारा ही गाते हैं
हम हैं नागरिक स्वाधीन भारत का
गीत यहीं का गाते हैं
मगर पूछे क्या खुद को कभी
कितना स्वाधीन हम।।
जात पात का बेड़ियों से क्या
आज आज़ाद हो पाए हैं,
या फिर नारा के कालचक्र में
कैद होते जा रहे हैं,
खुद ही को देखो झांक कर
कितना स्वाधीन हम..
वन्दे मातरम....
गरीवी हटा तैयार की जाती
भिखारियों का कतार है,
मुफ्तखोर बनते जा रहे हम
खैराती की व्यापार है
पढ़े लिखे बेकार हैं घूमते
कतार खड़े हैं हम.....
हमसे लूटकर हमे हैं बांटते
प्रगति को दिखाकर ठेंगा,
कल की चिंता पड़ी है किसे
कुर्सी कायम तो काम चंगा,
फिर भी उनको मान मसीहा
ताली पीटते हम.....
लालटेन जले या झाड़ू चले हाथ
चले या खिले कमल
हर हाल में पिसते हम ही
राजनीति का दलदल
नोट पे भोट कमाल का नीति
चोट करे हर दम....
भाषण राशन, तोषण से शोषण
दौर देर तक चलेगा
स्वाधीन होने का भ्रम में भ्रमित
जनता फिर भी बोलेगा,
सब से न्यारा है देश हमारा
उससे भी न्यारे हम .....
क्यों कि
इतने विसंगति बाद हैं गाते
वन्दे मातरम......
