हमारी उत्सव प्रियता
हमारी उत्सव प्रियता
भारत है उत्सव का देश
हर प्रांत हर जगह के उत्सव हैं अलग-अलग।
होली दीवाली रक्षाबंधन नवरात्रि पर्यूषण पर्व, मनाते हैं सब अलग-अलग रीति से।
मकसद सबका एक है, उत्सव के नाम से थोड़े खुश हो लेने का।
थोड़े मजे कर लेने का, रोज की जिंदगी से थोड़ा हटकर अपनी जिंदगी को अच्छे से जी लेने का।
घर में पकवान, साफ सफाई, नए वस्त्र नई खरीदी करने का।
अपने प्रियजनों से मिलने का काम करने का।
उत्सव प्रिय जनता हमारी हर समय हर तरह से उत्सव मनाती ही रहती।
कभी पूजा में, कभी मेले में ।
कभी घर के अंदर बच्चों के आने से होने वाली रौनक में।
कभी शादी ब्याह की खुशियों में।
हर तरफ ही रौनक रौनक रहती है।
क्योंकि हमको उत्सव पसंद हैं।
इसीलिए हम तो सब मिलकर वैसे ही सामूहिक में सम्मिलन करके
एक बड़ा प्यारा सा उत्सव मना कर अभी आए हैं।
जिसकी यादें जिंदगी में संजोए हम आए हैं।
तीन पीढ़ियों को साथ इकट्ठा कर देश विदेश से सबको बुलाकर
अपने परिवार का एक स्नेह सम्मिलन करके अभी सब आए हैं।
जो खुशियां हमने पाई हैं उसको हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं।
उत्सव तो मन से होता है जब 4 अपने लोग मिल जाएं।
जब चार यार मिल जाएं, तब भी यह उत्सव बन सकता है।
बस योजनाबद्ध काम करने की मन में तमन्ना होनी चाहिए सब की।
आप सबको आपस में मिलने की मन में इच्छा होनी चाहिए सबकी
हर क्षण को यादगार बनाने का मन में उत्साह होना चाहिए तो उत्सव तो अपने आप ही मन जाता है ।
और जिंदगी भर की यादें दे जाता है।
