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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Inspirational

प्रेम की गंगा

प्रेम की गंगा

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प्रेम गीत तो मैं गा लेती

बस यही निश्चित नहीं हो पाया

कि मैं प्रेम किससे हूं करती।

बहुत प्यार किया माता-पिता ने मेरे।

अपना सर्वस्व वार दिया मुझ पर

मुझे विदा जब किया ससुराल के लिए

तो लगा मुझे कि उनसे ज्यादा कोई प्यार कर सकता है मेरे लिए? ‌

छोटा सा भैया जो हमेशा था लड़ता।

मेरी अलमारी लेने के लिए मेरे विवाह की इंतजार जो था करता।

रोक नहीं पा रहा था अपने आंसुओं की धार।


क्या उससे भी ज्यादा करता था कोई मुझे प्यार?

आंखों में नए सपने लिए ससुराल थी मैं आई।

सासु मां की लाडली, पति की प्यारी थी बन आई।

संभाले सारे रिश्ते ,यूं मानो प्यार की वर्षा थी हो आई।

ऐसा लगा प्रेम गीत की धुन तो वहीं पर बन आई।


गाती प्रेम गीत कि तभी नन्हे बच्चों का आना हुआ।

सारे प्रेम गीतों में लोरी का तराना हुआ।

प्रेम गीत कब लोरी में बदल गए

उम्र के साथ हम भी कब ढल गए।

सामने से मंजर कब बदल गए?

हमारे प्रेम गीत उनके लिए दुआओं में ढल गए।

हमने सबसे पाया था बहुत सा प्यार।

जिंदगी ने दिए थे बहुत से उपहार।

परमात्मा का करते रहे हम धन्यवाद।

प्रेम गीत ढल गए हैं भजनों में आज।

प्रभु अब केवल तुमसे ही है आस।

मेरे हर गीत में है तुम्हारा ही धन्यवाद।

प्रभु अब इतना ही देना आशीर्वाद कि प्रेम गीत सदा मैं गाती रहूं।

ना दुख पाऊं, ना दुख दूं मैं किसी को।

यूं ही प्रेम की गंगा बहाती रहूं।


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