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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Action Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Action Classics Inspirational

मुक्तक : सत्य

मुक्तक : सत्य

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अराजक लोगों की संख्या बढती जा रही है 

स्वयं भू ईमानदारों की रोज बाढ आ रही है 

चोर उचक्के उठा रहे हैं कोतवाल पर उंगली 

जिंदगी न जाने कैसे कैसे दिन दिखला रही है 


असभ्यताओं के घोड़े कुलांचें भर रहे हैं 

अमर्यादाओं के राक्षस अट्टहास कर रहे हैं 

जिनकी हस्ती जुगनुओं की भी नहीं है वे 

सूरज के मुंह पर थूकने की जुर्रत कर रहे हैं 


हंगामा खड़ा करना ही जिनका मकसद है 

केवल कीचड़ उछालना जिनकी फितरत है 

अपने चेहरे पे पुती गंदगी कभी देखी नहीं 

दूसरों पे उंगली उठाना ही उनकी आदत है 


ऐसे धूर्त मक्कार बेईमानों को पहचानना होगा 

उनके कुत्सित इरादों को उजागर करना होगा 

इधर उधर खड़े कर दिये गये हैं झूठ के पहाड़ 

सत्य का साम्राज्य फिर से स्थापित करना होगा।


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