STORYMIRROR

Mukesh Tihal

Romance Action

4  

Mukesh Tihal

Romance Action

समां कैसे है बुलंद किया

समां कैसे है बुलंद किया

1 min
377

खामोश जुबां जो तेरी मुझसे कुछ कह ना सकी 

वो काम तेरी नज़रों ने आज क्या खूब किया 

एक पैगाम था तेरे मन में ना जाने कब से दबा 

कैसे तूने उसको अपने अंजाम पर पहुंचा दिया 

तुझको लगता था कि मैंने खुद से दूर कर 

मैंने तुझको यूँ ही अपने से अजनबी कर लिया 

बहुत हसरत थी तुझको भी इस मुलाकात की 

मुकद्दर ने आज वो समां कैसे है बुलंद किया 


तेरे नूर पर तो हो जाये हजारों चाँद फ़िदा 

इसलिये था मैंने तुझको अपना दिल दिया 

सोच कर डर लगता है की तुम हो बेपरवाह 

इसलिये खुद को तुझसे था मैंने अलग किया 

थामा जो तुमने अपने हाथों में हाथ अब मेरा  

लगता है फिर से मेरा भाग्य तूने है रोशन किया 

आज फिर शायद मेहरबान हुआ मेरा रब्बा 

जो मांगा था उनसे वो समां कैसे है बुलंद किया


आज करले एक - दूसरे से वादा जरा 

ना होंगे अब कभी यूँ ही बिन बात खफा 

मुझमें ही बसता रहे तेरा दिल सदा 

तेरी आँखों में है मेरा संसार बसा 

ना छूटने दूंगा अब कभी साथ तेरा 

आज मिटा दे जो दुरी थी हमारे दरमियाँ 

हो जाने दो सारे सपने साकार ओ रब्बा 

बताना चाहता हूँ जो समां कैसे है तूने बुलंद किया 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance