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Mukesh Tihal

Classics Inspirational

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Mukesh Tihal

Classics Inspirational

बेटा बाप बन

बेटा बाप बन

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आज भी धुंधला सा नजारा मेरी आँखों पर छा जाता है

मेरे बापू तेरी यादों का पिटारा खुल इनमें पानी ले आता है

जाने क्यों होता है ऐसा एक दिन सबके साथ जब

हमारा भगवान छोड़कर किस गली कोनसी डगर हमसे दूर चला जाता है

तेरी कमी महसूस करते है हम इसलिए तुझे याद कर जी भर आता है


याद रहता है हमेशा तेरा सबक जो हर मुश्किल में जीना सिखाता है

दुनिया के दस्तूर में आना - जाना लगा रहता है

पर क्या ये एक पिता को पुत्र के मन से मिटा पाता है

ये सब एक पुत्र को तब समझ में आता है

जब बेटा पिता बन बाप होने का फर्ज निभाता है


क्यों बाप अपने सपने कुर्बान हम पर कर जाता है

खुदको जलाकर वो हमें रोशन कर पाता है

कदम तुम मेरे होते थे जो चलना कैसे है हमको बताते थे

तेरे बिन अब मेरे ये कदम यूँ ही लड़खड़ाते है

मेरे हौसलों की जान थे तुम अब तो ये भी टूट जाते हैम


कन्धों पर तुमको हमको दुनिया घुमाया करते थे

खुद का पेट ना भरा हो परिवार की भूख पहले मिटाया करते थे

गुस्सैल से चेहरे में छिपा कोमल मन हम कहां पढ़ पाया करते थे

सबको अपना बाप क्यों हिटलर नज़र आता है

ये सब बेटा बाप बन समझ पाता है


बाप की कुर्बानियों पर अब हमको नाज़ आता है

मुश्किल तब होती है यारों जब बाप बेटों के कन्धों पर शमशान को जाता है

वो अंतिम सफर होता है उनका क्यों हमको रुलाता है

कितना निर्दयी होता है बेटा वो अपने ही भगवान को जलाता है

कर आग के हवाले बाप को वो घर को चला आता है


कुछ नहीं बचता बेटे के पास भी वो सब कुछ लुटाकर आता है

पिता के बिन बेटा जिम्मेवारियों के बोझ तले दब जाता है

बाप क्या होता है उसको ये अच्छी तरह समझ में आता है

बाप का अंश होता है बेटा उसको विरासत में कर्तव्य - पथ पर चलना मिल जाता

बेटा बाप बन बाप के हर फ़र्ज़ शान से निभाता है।


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