अज़ीब दास्तान
अज़ीब दास्तान


ऐसा ख़्याल भी तुम अपने जहन में क्यों लाते हो
मुझको छोड़कर जाने की बाते कर लगने जाते हो
ऐसा बोलकर तुम मुझको क्यों सताने लग जाते हो
मुझको दर्द देकर मुस्करा कर कितना इतराते हो
ऐसा क्या हुआ हमसे जो तुम हमको यूँ तड़पाते हो
मुझको किये वादे जो तुम ऐसे क्यों भूल जाते हो
दिल हो तुम मेरे क्यों मेरी धड़कनों को छीनना चाहते हो
बनाकर मेरी जिंदगी को अज़ीब दास्तान तुम क्यों भुनाते हो
मुस्कराहट होती थी जो मेरे चेहरे पर अब तुम उसको मिटाने पर उतर आते हो
भेद ना समझा कोई तेरा क्यों इसको रहस्य बनाने लग जाते हो
होती है मुश्किल यहां जीने में तेरे बिन क्यों बिन तेरे मरना आसान कर जाते हो
छीन कर सुकून मेरा क्यों मुझे ग़मगीन कर जाते हो
रंगीन थे सपने मेरी आँख
ों में क्यों इनको धुंधला बनाते हो
टूटकर रह गए अब हम क्यों मुझे बिखेरना चाहते हो
मत बोला करो हमें ऐसा जो सुनना हम ना चाहते हो
शायद छोड़ दिया हमने अपना फ़लसफ़ा जबसे तुम इसे
अज़ीब दास्तान बनाना चाहते हो
ना होगी मेरी कोई मंज़िल जिस कारवां को तुम पाना चाहते हो
छेड़ कर राग पुराने तुम हमें अब क्या सुनाना चाहते हो
लौट कर आना होता है यहां बार - बार जो तुम हमें बताना चाहते हो
कर दिया जुदा अपने को सबसे जैसा तुम हमें बनाना चाहते हो
हाले दिल हाल ना रहा अब कोनसा हाल जानना चाहते जो
मंज़ूर करते है वो सब सजा जो तुम हमें सुनाना चाहते हो
क्यों मुझको मेरी ही नज़रों में अब तुम गिराना चाहते हो
अज़ीब दास्तान है मेरी जिंदगी की क्या तुम मुझे यही समझाना चाहते हो।