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Mukesh Tihal

Classics Inspirational

4  

Mukesh Tihal

Classics Inspirational

अज़ीब दास्तान

अज़ीब दास्तान

2 mins
350


ऐसा ख़्याल भी तुम अपने जहन में क्यों लाते हो 

मुझको छोड़कर जाने की बाते कर लगने जाते हो 

ऐसा बोलकर तुम मुझको क्यों सताने लग जाते हो 

मुझको दर्द देकर मुस्करा कर कितना इतराते हो 


ऐसा क्या हुआ हमसे जो तुम हमको यूँ तड़पाते हो 

मुझको किये वादे जो तुम ऐसे क्यों भूल जाते हो 

दिल हो तुम मेरे क्यों मेरी धड़कनों को छीनना चाहते हो 

बनाकर मेरी जिंदगी को अज़ीब दास्तान तुम क्यों भुनाते हो 


मुस्कराहट होती थी जो मेरे चेहरे पर अब तुम उसको मिटाने पर उतर आते हो 

भेद ना समझा कोई तेरा क्यों इसको रहस्य बनाने लग जाते हो 

होती है मुश्किल यहां जीने में तेरे बिन क्यों बिन तेरे मरना आसान कर जाते हो 

छीन कर सुकून मेरा क्यों मुझे ग़मगीन कर जाते हो 


रंगीन थे सपने मेरी आँखों में क्यों इनको धुंधला बनाते हो 

टूटकर रह गए अब हम क्यों मुझे बिखेरना चाहते हो 

मत बोला करो हमें ऐसा जो सुनना हम ना चाहते हो 

शायद छोड़ दिया हमने अपना फ़लसफ़ा जबसे तुम इसे 

अज़ीब दास्तान बनाना चाहते हो 


ना होगी मेरी कोई मंज़िल जिस कारवां को तुम पाना चाहते हो 

छेड़ कर राग पुराने तुम हमें अब क्या सुनाना चाहते हो 

लौट कर आना होता है यहां बार - बार जो तुम हमें बताना चाहते हो 

कर दिया जुदा अपने को सबसे जैसा तुम हमें बनाना चाहते हो 


हाले दिल हाल ना रहा अब कोनसा हाल जानना चाहते जो 

मंज़ूर करते है वो सब सजा जो तुम हमें सुनाना चाहते हो 

क्यों मुझको मेरी ही नज़रों में अब तुम गिराना चाहते हो 

अज़ीब दास्तान है मेरी जिंदगी की क्या तुम मुझे यही समझाना चाहते हो। 


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