राधा प्रेम की समाधी
राधा प्रेम की समाधी
मन में बसी हो जब कोई भयंकर व्याधि
तब क्यों लगती है दुनिया आधी - आधी
ये बन जाती है आत्मिक अश्रु की पयोधि
तब वास्निक सुख की कहां रहती है बोधि
छाया रहता हो जैसे आँखों पर अब रतोंधी
कैसे मिटा पायेगा तू अपने अंदर की आंधी
ऑंखें बंद कर लगा ले तू राधा प्रेम की समाधी
प्रेम शक्ति को जिस - जिस माना उसने तब जगत मिथ्या है जाना
जो हुआ राधा - रमन बिहारी का दीवाना
वो बना लेता है श्री जी के चरणों में ठिकाना
धरती पर प्रेम प्रकाश को हो जब फैलाना
ये कहते कहते तुम अपने मन में ये बसाना
देना जन्म हमें बरसाना जहां राधा प्रेम की समाधि को है लगाना
जब बरसाना की गलियों में हो जायेगा मेरा आना - जाना
वहां लगेगा प्रेमियों में राधा के अपना भी नजराना
क्या बताऊं तब तो हो जायेगा अमर ये भी दीवाना
राधा महल की अटारी पर ध्वजा बन चाहूँ लहराना
लाड़ली महाराज है मेरी किशोरी सबने ये ही पहचाना
रख लो रख लो राधा हमारी भेंट भी कहाँ से लाया तेरा परवाना
राधा प्रेम की समाधि में कर जाऊं सफल जीवन जबसे आना हुआ मेरा बरसाना।