किस्मत ने खींची हो दूरी
किस्मत ने खींची हो दूरी
तेरे रहमोकरम से क्या
ख़ूब महकी हस्ती मेरी
तेरे अहसानों के बोझ
तले दबी जिंदगी मेरी
मेरे हर फैसले के संग
रहते थे तुम कैसे खड़े
मेरे निर्णय को करते
सरल चाहे थे ये कड़े
आज वक़्त ने है क्यों करवट ली
कल शायद किस्मत ने खींची हो दूरी
जिंदगी में तुझसा रहनुमा ना मिला
जो छिपाकर अपने घाव
करता रहा उपकार सदा
मैं खुशनसीब कहूँ खुद को
जो तेरा साथ था मुझे मिला
मेरे हर दर्द की बनकर दवा
था तूने उनको कैसे दूर किया
लम्हा - लम्हा मैं तेरी रहमत
के साये में बिताता हूँ गया
किस्मत ने अब दूरी को सींचा
मुझसे अगर तेरा हुआ कोई गुनाह
करना माफ़ ये मैं दिल से हूँ कहता
यहां की यादों को समेट
मैंने खुद को भाव - विभोर किया
याद रखूँगा यहां की महफ़िल
जहां महकता था दिन मेरा
अब बसाना है नया आशियाना
जिसका आज से आगाज़ किया
था बड़ा कठोर मेरा ये फैसला
इसलिए किस्मत ने खींची ये दूरी।