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Mukesh Tihal

Romance Tragedy

4  

Mukesh Tihal

Romance Tragedy

तेरी हरकत

तेरी हरकत

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कबूल करो तुमने जो काम किया 

एक दीवाने को बेगाना नाम दिया 

ऐसा वार तुमने मुझ पर है किया 

क्यों सीने से मेरे दिल निकाल दिया 

जिन्दा होते हुऐ भी ऐसा क्या किया 

क्यों ये शरीर बेजान कर है दिया 

तेरी हरकत ने मेरे लिये ये क्या किया 

सपनों को इसने चकनाचूर कर दिया।


अल्फाजों को अपने सम्भालतें यहां 

जज्बातों को मेरे तूने रौंद है दिया 

ये कैसा मुकाम तूने बुलंद है किया 

बहते दरिया ने जैसे पेड़ उखाड़ दिया 

बोलने से पहले सोच लेते तुम जरा 

कि तीर ज़हर का क्यों उतार है दिया 

तेरी हरकत ने क्यों मुझको 

आज उजाड़ के रख दिया ।


हर लम्हें में जिसे महसूस किया 

बेगानी राह पर क्यों छोड़ दिया 

मेरे पल में जिसका कल था बसा 

इनका भी तूने क़त्ल क्यों कर दिया 

जिंदगी के खूबसूरत पलों को भूला 

क्यों तूने अब इन्हें मिटा है दिया 

तेरी हरकत ने मेरे विश्वास को 

कर ख़त्म मुझे शर्मिंदा है कर दिया।


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