दानवता को खुद में है बसाना
दानवता को खुद में है बसाना
दूसरों के ग़मों में जश्न बनाना
उनकी कमियाँ देख इतराना
खुद को हमेशा अच्छा बताना
हर इच्छा को उन पर जमाना
किसी के भरोसे को गिराना
उनके गुणों को ना अपनाना
क्या चाहते हो मानव मिटाना
या दानवता को खुद में है बसाना
किस बात का बना रहे हो बहाना
कहते हो मैं ये हूँ मुझसे है जमाना
औरों को रहते हो सदा नीचा दिखाना
उनको बात - बात पर छोटा बताना
शिकारी नज़रों को किसी पर गड़ाना
दूसरों के धन को ठगी से अपना बनाना
क्या चाहते हो तुम मानवता को मिटाना
या दानवता को खुद में है बसाना
जिंदगी में अगर चाहते हो ख़ुशी को पाना
पहले अपने अवगुण को होगा मिटाना
दूसरों के जख्मों पर मरहम तुम लगाना
अपना बाद में औरों का भला पहले चाहना
अहंकार, भेदभाव और लोभ को होगा हराना
प्रकृति के निर्दोष गुण पड़ेगा तुम्हें अपनाना
फिर क्या हर मन में होगा मानवता का ठिकाना
कोई नहीं कहेगा तुम्हें दानवता को खुद में है बसाना।