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Mukesh Tihal

Classics Inspirational

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Mukesh Tihal

Classics Inspirational

फिर भेद किस बात का ये बता

फिर भेद किस बात का ये बता

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बचपन से एक बहस को है सुना 
ब्रह्मा विष्णु महेश में कौन है बड़ा
इंसान ने ही ये प्रपंच है रचा 
युगों - युगों से इसमें है फंसा 
खुद में भी इस सोच को लिये बसा 
मैं उससे बड़ा वो मुझसे है छोटा 
मेरा पद है ऊँचा इसलिये हूँ बड़ा 
इस अहम के बहम में तू रह उलझा 
जब परम तत्व से हर कोई है बना 
फिर भेद किस बात का ये बता 

मेरा मान - सम्मान सबसे है ऊँचा 
कुल खान - दान वो है मुझसे नीचा 
अपने को बड़ा दिखाने के चक्कर में 
तू अपनों से ही जाने कितना दूर हुआ 
हैसियत मापने का अगर कोई पैमाना होता 
इंसान के घमंड से भी वो होता छोटा 
इसी कश्मकश में है ये जीवन बीता 
युगों - युगों से ना ये भेद मिटता 
सब में एक परमात्मा का वास होता 
फिर भेद किस बात का ये बता 


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