शांति की तलाश में
शांति की तलाश में
शांति की तलाश में भटकता है जब - जब ये मन
कोई पहुँचा दूर ऊँचे हिमालय निर्जन सुनसान वन
बैठा लगा त्रिकाल समाधि कर तन्मय अपना अंतर्मन
भूल गया सुध - बुध जला डाला तन कर कठोर तपन
क्या हर कोई कर पाता पाने को मोक्ष - शांति ये जतन
जब होने लगे इंसान का खुद में खुद का रमन
तब जरूरत नहीं जाने की हिमालय वन गमन
मन का जिसने भी किया हो बार - बार मंथन
गृहस्थ - सन्यासी बन हुआ जो भी प्रभु मगन
उसको भी मोक्ष मिला बिन भटके पर्वत - वन
