मैं तुझमें तुम मुझमें
मैं तुझमें तुम मुझमें


यूँ मुझको तुम क्यों बहकाते हो
ये कैसा अपनापन जताते हो
किस तलाश में मुझमें खो जाते हो
ये कैसी आस जगा बैचैन बनाते हो
सफर दूर है मेरा तुझसे फिर भी
तुम साथ मेरा क्यों चाहते हो
आँखें बंद करके देख
मैं तुझमें तुम मुझमें रम जाते हो
अहसास करना मैं हूँ तेरे ही पास
ना रहोगे फिर कभी तुम उदास
जब भी हो कभी तुम हताश
लेना मेरा नाम रख के विश्वास
मिल जाएंगे तुझको श्वास
मैं तुझमें तुम मुझमें खास
जिंदगी में जब भी रब से मिलना हुआ
चाहूंगा तेरा ही साथ हो सदा
मैं नहीं करता कोई परवाह
बेगानों को भी अपना समझता
मैंने जो माँगा मुझे वो रब से मिला
मैं तुझमें तुम मुझमें रहोगे हमेशा।