कलयुग सा संसार
कलयुग सा संसार
यह कलयुग सा संसार
करोगे कैसे भवसागर को पार।
कैसे होगा अब उद्धार
इस युग में जब मानवता रोए जार जार।
त्रेता युग के गांडीवधारी श्री राम कहां हैं?
द्वापर युग के सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण कहां है ?
अब जीना हुआ दुश्वार है यह कैसा कलयुग का संसार।
काहे करते हो चीत्कार!
है कलयुग की महिमा भी अपार।
अगर कलयुग में कोई अच्छाइयां ना होती
तो क्या राजा परीक्षित ना देते उसे मार ?
कलयुग केवल नाम अधारा
सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा
और युगों में जो बरसों में पाते।
कलयुग में मिल जाएंगे परमात्मा
केवल अपने मन में ही झांके।
नाम जपन कर मानवता अपना लो
प्रभु जी के दर्शन मन में ही पालो।
सुख शांति फिर मिल जाएगी
माया की धुंध सब छंट जाएगी।
कलयुग का संसार भी सुंदर हो जाएगा।
प्रभु के कीर्तन में मानव जब खो जाएगा।
मानव जब अपनी मानवता पा जाएगा।
कलयुग भी सब युगों से बेहतर हो जाएगा।
