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Prof (Dr) Ramen Goswami

Action Classics Fantasy

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Prof (Dr) Ramen Goswami

Action Classics Fantasy

मैं तो वो नदी हूं

मैं तो वो नदी हूं

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शव की जलती पीड़ा मुक्ति चाहती है,

नग्न पथ पर, निर्मल नदी को, शब नदी की उदासी जानना चाहती है ?

क्या कोई जाने उस नदी की पीड़ा जो बहती चली जाए ?

वह प्रतिदिन पापी के पवित्र स्नान में स्नान कराते आए।


जहां फैलती है बरसाती घाव की मिट्टी,

सारा दिन बाढ़ दर्द में रोती है,

कोई नहीं जानता कि आसमान क्या गिर रहा है !

पानी में माथा मार कर नदी का सीना ढूंढ रहे हैं।


अचानक एक धमाके से घर टूट गया,

नक्षी की आंखों में आंसू आ गए।

लटक- मटक में चलती नदी ! कोई क्या उसे प्यार करता है ?

पानी की थैली में आया बीज पैरों से नाचने लगा और हंसने लगा।


सफेद पत्ती सोख्ता कलम शोषक रबर रगड़,

बोलचाल की भाषा को बेचने के लिए पल्ला दर पर पानी का सौदा,

प्यास से तृप्त गूंगी नदी - वह केवल मूल्य खोजता है

नंगे लड़के ने भी पूछ ही लिया, तू नदी किसकी है ?


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