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Sumit. Malhotra

Abstract Action

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Sumit. Malhotra

Abstract Action

विश्वास का खून।

विश्वास का खून।

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मेरे नाम की मेहंदी थी लगानी, 

कितने विश्वास से ही कहा था। 


ग़ैर के नाम की मेहंदी लगाकर, 

धोखा बड़ा ज़बरदस्त दिया था। 


हमराज अपना बनाया था तुम्हें, 

सभी राज़ बताये हमने भी तुम्हें। 


पीठ में छुरा घोंप दिया था तुमने, 

विश्वास का खून किया था तुमने।


वादे करके कसमें खाई थी तुमने, 

कुछ वादे निभाने थे सच में तुमने। 


बेवफ़ा ये ज़ख्म दिए हमें हैं तुमने, 

विश्वास तोड़कर दिया दग़ा तुमने।


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