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Alok Singh

Inspirational

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Alok Singh

Inspirational

मजदूर

मजदूर

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कभी हवाओं को बना कर चादर

खुले आसमां के नीचे

थक कर कभी अपनी ज़िम्मदारियों से

तो कभी समाज की

ऊँच नीच वाली भावनाओं से आहत होकर

तो कभी


आर्थिक विषमता की खाई को

खुद के परिश्रम से पाटने की कोशिश करते

ज़िसमानी थकावट से बेफिक्र होकर

फुटपाथ पर सो जाता है

क्योंकि उसको ही रखनी पड़ेगी

नींव इक नए भारत के निर्माण की


जिसमे अमीर तो पहले से ही सम्पन्न है

उस जैसों को ही अपना स्तर बढ़ाना होगा

और संभालना होगा रथ

जो निरंतर बढ़ सके प्रगति के पथ पर



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