संकल्प
संकल्प
हर विध्य का मुख मोड़ सकता है मानव,
पत्थर से पानी निकाल सकता है मानव,
पाषाण हृदय पिघला सकता है मानव,
चन्द्रमा पर भी पहुँच चुका है मानव,
मंगल,शनि, वृहस्पति के साथ-साथ
अब सूर्य की तैयारी है।
आप में है क्या कमी, जो हीनता लिए हो
क्यों समस्याओं के अधीनता लिए हो ?
आप भी सफलता की हर बुलंदियाँ छू सकते हो
हे वीर ! तुम भी आगे बढ़ सकते हो।
निश्चितरूपेण तुम्हारे सपने भी साकार होंगे।
तुम्हारा भी कुछ आकार होंगें।
कस लो कमर और बढ़ो आगे।
तुम कायर थोड़े ही हो की पीछे भागे।
जीतता वही है जो नींद - चैन आराम त्यागे।
