STORYMIRROR

Krishna Joshi

Action

4  

Krishna Joshi

Action

नारी आत्मनिर्भर

नारी आत्मनिर्भर

1 min
419

फूलों की कोमल छाया में, 

शक्ति का नाम नारी है ।

नारी किसी से कम नहीं ,

दुनिया से नहीं हारी है ।।


गर्व से चलती है आज की नारी

त्याग की सूरत, ममता से न्यारी।


नारी से यह जग ज़हान,

जानता है सकल जहान।


अपने सपनों का त्याग कर,

दूसरों के सपने सजाने वाली।

अपनी माता का घर छोड़,

ससुराल को अपनाने वाली।


मां की लाड़ली सबसे प्यारी,

दुनिया के लिए सर्वोत्तम नारी।


नारी किसी से कम नहीं ,

दुनिया को दिखाऊंगी ।

नारी हूं मैं अपनी दुनिया ,

अब स्वयं ही बसाऊंगी ।।


नारी का ना करना अपमान,

नारी है शक्ति की खान ।।


यही है दुर्गा यही है काली ।

सब संकट से लड़ने वाली ।।


यही है पुत्री यही है भगिनी ।

यही है पत्नी यही है जननी ।।


रूप अनेकों इसने पाए ।

नारी की हर रूप है भाए ।।


इक्कीसवीं सदी की नारी ।

आत्मनिर्भर हो अब नारी ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action