फोन की महिमा
फोन की महिमा
पृथ्वी की अपनी अलग है शान ।
हम सब को इस पर है गुमान ।।
अपनी देह पर ताप है सहती ।
दुनिया जिसको माँ है कहती ।।
भेदभाव यह कभी न करती ।
सब के संग सद्भाव है रखती ।।
पापियों का करती है उद्धार ।
माँ सम करती सबको प्यार ।।
है इसके उपकार अनेक ।
कार्य करना पृथ्वी पर नेक ।।
पृथ्वी पर खूब वृक्ष लगाओ ।
इसकी बगिया खूब सजाओ ।।
पृथ्वी करती यही पुकार ।
मान लो अब सारा संसार ।।
पृथ्वी सुंदर बड़ी हमारी ।
हमको है यह जान से प्यारी ।।
यह सबकी है भाग्य विधाता ।
अन्न जल की तो यह है दाता ।।
इसकी रक्षा हमको करना ।
स्वच्छ सदा इसको है रखना ।।
मान करेंगे इसका गर हम ।
सुखी रहेंगे जीवन भर हम ।।
नमन तुम्हें है धरती माता ।
जन्म जन्म का तुमसे नाता ।।