तपस्या मैने भी की है
तपस्या मैने भी की है
तपस्या मैंने भी की है
क्या सिर्फ तुमने ही की है ?
जब आँख खुली,जग प्यारा था
जब सांस चदी, ना किनारा था
फिर भी लड़ता, ना हारा था !
तुमने तो सब छीन लिय़ा
अपनो को भी लील लिय़ा
जब से आये इस महफ़िल मे
तुमने तो अपना सूट सिल लिय़ा
फिर क्या तपस्या तुमने की है ?
हम तो आज भी सब खोते हैं
अपनी हर गंदगी को धोते हैं
पर तुम को क्या कहना है
अभिमान तो तुम्हारा गहना है !
अब तो सब आस मिटी
बस तो अब सांस बची
सच् तपस्या तो हमने की
तुमने तो बस तपस्या कही !
