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Surendra kumar singh

Action

4  

Surendra kumar singh

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जीना है

जीना है

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 जीना है

जीवन है इसलिये भी

जीना है

और जीवन रहे इसलिये भी

जीना है।


जीवन यूँ तो एक काल है

जन्म से मृत्यु के बीच का

और इस बीच के काल में

जीवन पर मनुष्य निर्मित

प्रायोजित खतरे भी बहुत हैं।


अगर आज की मनुष्य की

बनायी गयी ब्यवस्था

और उस ब्यवस्था में

मनुष्य को देखें

ठीक से देखें

तो आप महसूस कर सकते हैं।


मनुष्य का जीवन इसलिये भी

खतरे में है कि उसका एक धर्म है।

मनुष्य का जीवन इसलिये भी

खतरे में है कि उसका

एक देश है,

और मनुष्य का जीवन इसलिये भी

खतरे में है कि उसके एक पास विचार है।


फिर भी जीना है

जीवन बचाने के लिये जीना है

एक रास्ता था

और अब भी है

धूलधूसरित

मनुष्य बन के जीना है


क्योंकि जीवन रहेगा

तो सब रहेगा

देश भी, धर्म भी

और ये दुनिया भी।


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