धर्मयुद्ध
धर्मयुद्ध
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#टीम E
#विषय: पौराणिक कथा
#दिनांक: 29.11.2022
#नॉन स्टॉप नवंबर T 30 कप संस्करण
शीर्षक: धर्मयुद्ध
जब जब बढ़ता पाप ज़मीं पर,
भगवान अवतार धारण करते हैं,
अधर्म से छुटकारा दिलाने,
धर्म की रक्षा करने आते हैं।
अधर्म बढ़ा जब कौरवों का तब,
भगवान विष्णु जी कृष्ण बन कर आए थे,
ब्रह्मा जी के आदेश से सभी देवता और उनके पुत्र,
कृष्ण जी की सहायता करने आए थे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान चंद्रमा जी,
अपने पुत्र वरचा को धरती पर भेजने के लिए राज़ी नहीं थे,
बाद में दो शर्तें अपनी रखकर,
वरचा को अभिमन्यु के रूप में भेजने के लिए राज़ी हुए थे।
पहली शर्त कि बहुत अल्प समय के लिए,
वरचा अभिमन्यु बन कर धरती पर जाएगा,
कुरुक्षेत्र में अपना कार्य जल्दी ही संपन्न करके,
वापस उस के पास लौट के आएगा।
दूजी शर्त कि बड़े बड़े महारथियों को अपना पराक्रम दिखाकर,
अन्त में खुद भी वीरगति को पाएगा।
उसके इस अतुल्य साहस को धरती पर,
युगों युगों तक याद किया जाएगा।
इसी शर्त के अधीन भगवान श्रीकृष्ण जी जो,
इस धर्म युद्ध में पांडवों के कवच बनकर साथ खड़े थे,
अपनी ही बहन सुभुद्रा और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को,
कुरुक्षेत्र के युद्ध में बचा नहीं पाए थे।
अभिमन्यु के साहस और पराक्रम के किस्से,
इतिहास में आज भी दाखिल हैं।
याद करता हैं उन को हर कोई,
उनके साहस का हर कोई बेहद ही कायल है।