ये पदचिन्ह
ये पदचिन्ह
गुरुदेव,
देखती हूँ आपका जीवन,
एक फ़िल्म की तरह,
बार बार देख यह यात्रा,
सीखती हूँ,
अनवरत असंख्य शिक्षाएं,
आपकी चरणपादुका को,
कर मस्तक पर धारण,
पाना चाहती हूं,
हर पदचिन्ह आपके,
जिन्हें संजो सकूं,
एक गीत की तरह,
जिसे गाए मेरा अंतस
और
अनगिनत आपके
मानस पुत्र, पुत्रियों का अंतस।
बस देते रहना एक प्रेरणा,
रच सकूँ वह गीत
और पहुंच सकूं जन जन तक।।