नवल वर्ष (दोहे)
नवल वर्ष (दोहे)
दिवस बीतता जा रहा, अलबेली है रात।
अपनों के सँग बाँट लूँ, नेह प्रेम सौगात।।
साँझ हुई अपने मिले, कर ली बातें चार।
वर्ना अब ए जिन्दगी, कब देती है प्यार।।
जन्म-मरण की डोर से, बँधा हुआ संसार।
सजे घरौंदा प्यार से, दूर करें तकरार।।
वाह-वाह से कब भला, जीतेगा मन कौन।
वही "पूर्णिमा" जीतता, संग चले जो पौन।।
नवल वर्ष उत्कर्ष का, नवल वर्ष संकल्प।
दृढ़ निश्चय कर्तव्य से ,बदले काया कल्प।।
संध्या के आलोक में, खिलता नवल प्रभात
जैसे सूरज भेदता, तारों वाली रात।
