हदें पार करते हैं।
हदें पार करते हैं।
कैसे अपने अस्तित्व स्वार्थ के लिए,
हम अपनी ये सब हदें पार करते हैं।
और अपनी मर्यादा का कैसे हम भी,
उल्लंघन तक सभी कई बार करते हैं।
अगर अपना अस्तित्व बचाना हमें तो,
नफ़रत के अस्तित्व को मिटाना होगा।
ये हदें पार करना जायज़ तब तो होगा,
जब नियमानुसार तरीके से पार होगी।
