शतरंज का अनोखा खेल निराला
शतरंज का अनोखा खेल निराला
यह जिंदगी भी एक शतरंज का खेल ही है।
जो हर कोई अपने हिसाब से खेलता है।
महाभारत काल से आज तक खेलता ही आया है।
मगर मुझे ना आज तक समझ में आया है।
शतरंज का खेल है बड़ा प्यारा है
यह दिमागों वाला है
जिंदगी में कभी ना शतरंज खेली थी ।
पिछले साल की छुट्टियों में अपने नाती से सीखी थी शतरंज।
मगर हाय रे किस्मत ना पूरी खेलनी आई।
हर बाजी में मैं शतरंज में हार गई।
कभी प्यादे से कभी घोड़े से कभी राजा से रानी हार गई।
मगर जिंदगी की शतरंज में ये सीधी साधी लड़की
जिंदगी को मात देकर जीत गई।
यह खेल है बड़ा निराला
ना मेरे बस का है यारा
क्योंकि इसकी चाले मुझे समझ में ना आए।
जिंदगी में ना कभी हमने कोई चाल चली ना कभी चलाई।
तो कहां से यह शतरंज मुझे समझ में आए।
