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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Action Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract Action Inspirational

जो राम का नहीं , हमारे किसी काम का नहीं

जो राम का नहीं , हमारे किसी काम का नहीं

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जो श्रीराम का नहीं , हमारे किसी काम का नहीं 


वो संविधान को नहीं मानते वो लोकतंत्र को नहीं मानते 

वो चुनी हुई सरकार को नहीं मानते 

वो न्यायालय के आदेश को नहीं मानते 

वो यहां की संस्कृति को नहीं मानते 

वो वंदे मातरम् को नहीं मानते 

वो राष्ट्र गीत को नहीं मानते 

वो भारत माता को नहीं मानते 

वो इस देश को नहीं मानते । 

वो केवल मज़हब को मानते हैं 

मजहब को देश से ऊपर मानते हैं 

उनके लिए हम सब काफिर हैं 

सिर तन से जुदा वाले मुसाफिर हैं 

हमारी संपत्तियों पर कब्जा कर रहे हैं 

हमारी बहन बेटियों को बरगला रहे हैं 

अपनी आबादी बढ़ाने में लगे हुए हैं 

सत्

ता में भागीदारी बढ़ाने में लगे हुए हैं 

पाकिस्तान उनका देश अपना है 

गजवा ए हिन्द उनका सपना है 

वो भगा रहे हैं हम भाग रहे हैं 

भाई चारे के नाम पर हमें काट रहे हैं 

हम महंगाई बेरोजगारी को रो रहे हैं 

उनके चरणों में पड़े नेताओं को हम ढो रहे हैं 

मुफ्त के माल के लिए हम देश बेच सकते हैं 

अपने ही हाथों अपनी ही तबाही देख सकते हैं 

अब तो जागो और कब तक सोओगे 

इनको पालने वाले नेताओं को कब तक ढोओगे 

वे श्रीराम कृष्ण को डेंगू, मलेरिया बता रहे हैं 

उनके गले में हम फूलों के हार चढ़ा रहे हैं 

हो सकता है मेरी बातें खराब तमाम सहीं 

पर जो राम का नहीं, हमारे किसी काम का नहीं ।। 



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