जीवन सतत् हार है
जीवन सतत् हार है
जीवन सतत् हार का सिलसिला है!
मेहनत करके भी यहाँ क्या मिला है!
निष्ठावान रहे सदैव व्यवस्था के प्रति!
पर भ्रष्टाचार का ही कमल खिला है!!
जीवन सतत् हार का सिलसिला है!
सदाचारी को यह सिस्टम सदैव भूला है!
सफलता निश्चित टांग खिंचाई से ही,
लुटेरों के पास अभेद्य किला है!!
जीवन सतत् हार का सिलसिला है!
उच्छृंखल उन्मुक्त सदैव खिलखिला है!
जुगाड़ बनाकर छीन लो सब कुछ,
नीतिवादी यहाँ सदैव तिलमिला है!!
जीवन सतत् हार का सिलसिला ह
ै!
सत्यवादी का कहते पेंच ढीला है!
हुडदंगबाज ले-देकर आगे बढ़ जाता,
इन्हीं का जादू सिर चढ़कर चला है!!
जीवन सतत् हार का सिलसिला है!
रिश्वतखोरों का हर कर्म सुफला है!
कर्ममार्गी दीन -हीन इस व्यवस्था में,
पेट भरने में इनका दम निकला है!!
जीवन सतत् हार का सिलसिला है!
सिस्टम जैट स्पिड से आगे चला है!
प्रतिभावान विदेशों की तरफ भाग रहा,
नेता भारत का हुआ हकला है!!