पढ़ी-लिखी औरतें समाज के हाथों से निकल जाती है
पढ़ी-लिखी औरतें समाज के हाथों से निकल जाती है
समाज कहता है, ज्यादा पढ़ी-लिखी औरतें
हाथों से निकल जाती हैं।
तो सोचती हूँ, किसके हाथों से निकल जाती हैं?
ज्यादा पढ़ना-लिखना तो अच्छा होता है ना!
हां, शायद समाज को पता चल गया होगा कि
ज्यादा पढ़ी-लिखी औरतें तर्क-कुतर्क करना सीख जाती हैं।
ज्यादा पढ़ी-लिखी औरतें मर्दों से मुकाबले में जीत जाती हैं।
ज्यादा पढ़ी-लिखी औरतें लोगों की बातों में नहीं आती हैं।
ज्यादा पढ़ी-लिखी औरतें बातों को जैसे का तैसा बताती हैं।
शायद इसीलिए समाज कहता है कि
ज्यादा पढ़ी लिखी औरते
ं हाथों से निकल जाती हैं।
फिर यह समाज औरतों को पढ़ने से रोकता क्यों नहीं?
औरतों को तो पढ़ने ही नहीं देना चाहिए।
हाँ, यह समाज ये भी तो जानता है कि
पढ़ी-लिखी औरतें समाज को समझदार बनाती हैं।
पढ़ी-लिखी औरतें समाज को पुरुष प्रधान बनाती हैं।
पढ़ी-लिखी औरतें पढ़ती हैं तो आगे की पीढ़ी को पढ़ाती हैं।
पढ़ी-लिखी औरतें अनपढ़ से ज्यादा समझदार कही जाती हैं। पर समाज यह नहीं जानता था कि
पढ़ी-लिखी औरतें ज्यादा पढ़ने के बाद उनके ही हाथों से निकल जाती हैं।